Sunday, June 14, 2015

चोर बादशाह

बादशाह का नियम था कि रात को भेष बदलकर गज़नी की गलियों में घूमा करता था। एक रात उसे कुछ आदमी छिपछिप कर चलते दिखाई दिये। वह भी उनकी तरफ बढ़ा। चोरों ने उसे देखा तो वे ठहर गये और उससे पूछने लगे, ‘‘भाई, तुम कौन हो? और रात के समय किसलिए घूम रहे हो?’’ बादशाह ने कहा, ‘‘मैं भी तुम्हारा भाई हूं और आजीविका की तलाश में निकला हूं।’’ चोर बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे, ‘‘तूने बड़ा अच्छा किया, जो हमारे साथ आ मिला। जितने आदमी हों, उतनी ही अधिक सफलता मिलती है। चलो, किसी साहूकार के घर चोरी करें।’’ जब वे लोग चलने लगे तो उनमें से एक ने कहा, ‘‘पहले यह निश्चय होना चाहिए कि कौन आदमी किस काम को अच्छी तरह कर सकता है, जिससे हम एक-दूसरे के गुणों को जान जाये जो ज्यादा हुनरमन्द हो उसे नेता बनायें।’’

यह सुनकर हर एक ने आनी-अपनी खूबियां बतलायी। एक बोला, ‘‘मैं कुत्तो की बोली पहचानता हूं। वे जो कुछ कहें, उसे मैं अच्छी तरह समझ लेता हूं। हमारे काम में कुत्तों से बड़ी अड़चन पड़ती है। हम यदि बोली जान लें तो हमारा ख़तरा कम हो सकता है और मैं इस काम को बड़ी अच्छी तरह कर सकता हूं।’’

दूसरा कहने लगा, ‘‘मेरी आंखों में ऐसी शक्ति है कि जिसे अंधेरे में देख लूं, उसे फिर कभी नहीं भूल सकता। और दिन के देखे को अंधेरी रात में पहचान सकता हूं। बहुत से लोग हमें पहचानकर पकड़वा दिया हैं। मैं ऐसे लोगों को तुरन्त भांप लेता हूं और अपने साथियों को सावधान कर देता हूं। इस तरह हमारी रक्षा हो जाती है।’’

तीसरी बोला, ‘‘मुझमें ऐसी शक्ति है कि मज़बूत दीवार में सेंध लगा सकता हूं और यह काम मैं ऐसी फुर्ती और सफाई से करता हूं कि सोनेवालों की आंखें नहीं खुल सकतीं और घण्टों का काम मिनटों में हो जाता है।’’

चौथा बोला, ‘‘मेरी सूंघने की शक्ति ऐसी विचित्र है कि ज़मीन में गड़े हुए धन को वहां की मिट्टी सूंघकर ही बता सकता हूं। मैंने इस काम में इतनी योग्यता प्राप्त की है कि शत्रु भी सराहना करते हैं। लोग प्राय: धन को धरती में ही गाड़कर रखते हैं। इस वक्त यह हुनर बड़ा काम देता है। मैं इस विद्या का पूरा पंडित हूं। मेरे लिए यह काम बड़ा सरल हैं।’’

पांचवे ने कहा, ‘‘मेरे हाथों में ऐसी शक्ति है कि ऊंचे-ऊंचे महलों पर बिना सीढ़ी के चढ़ सकता हूं और ऊपर पहुंचकर अपने साथियों को भी चढ़ा सकता हूं। तुममें तो कोई ऐसा नहीं होगा, जो यह काम कर सके।’’

इस तरह जब सब लोग अपने-अपने गुण बता चुके तो नये चोर से बोले, ‘‘तुम भी अपना कमाल बताओ, जिससे हमें अन्दाज हो कि तुम हमारे काम में कितनी सहायता कर सकते है।’’ बादशाह ने जब यह सुना तो खुश हो कर कहने लगा, ‘‘मुझमें ऐसा गुण है, जो तुममें से किसी में भी नहीं है। और वह गुण यह है कि मैं अपराधों को क्षमा करा सकता हूं। अगर हम लोग चोरी करते पकड़े जायें तो अवश्य सजा पायेंगे। परन्तु मेरी दाढ़ी में यह खूबी है कि उसके हिलते ही अपराध क्षमा हो जाते हैं। तुम चोरी करके भी साफ बच सकते हो। देखो, कितनी बड़ी ताकत है मेरी दाढ़ी में!’’

बादशाह की यह बात सुनकर सबने एक स्वर में कहा, ‘‘भाई तू ही हमारा नेता है। हम सब तेरी ही अधीनता में काम करेंगे, ताकि अगर कहीं पकड़े जायें तो बख्शे जा सकें। हमारा बड़ा सौभाग्य है कि तुझ-जैसा शक्तिशाली साथी हमें मिला।’’

इस तरह सलाह करके ये लोग वहां से चले। जब बादशाह के महल के पास पहुंचे तो कुत्ता भूंका। चोर ने कुत्ते की बोली पहचानकर साथियों से कहा कि यह कह रहा है कि बादशाह हैं। इसलिए सावधान होकर चलना चाहिए। मगर उसकी बात किसीने नहीं मानी। जब नेता आगे बढ़ता चला गया तो दूसरों ने भी उसके संकेत की कोई परवा नहीं की। बादशाह के महल के नीचे पहुंचकर सब रुक गये और वहीं चोरी करने का इरादा किया। दूसरा चोर उछलकर महल पर चढ़ गया। और फिर उसने बाकी चोरों को भी खींच लिया। महल के भीतर घुसकर सेंध लगायी और खूब लूट हुई। जिसके जो हाथ लगा, समेटता गया। जब लूट चुके तो चलने की तैयारी हुई। जल्दी-जल्दी नीचे उतरे और अपना-अपना रास्ता लिया। बादशाह ने सबका नाम-धाम पूछ लिया था। चोर माल-असबाब लेकर चंपत हो गये।

बादशाह ने मन्त्री को आज्ञा दी कि तुम अमुक स्थान में तुरन्त सिपाही भेजो और फलां-फलां लोगों को गिरफ्तार करके मेरे सामने हाजिर करो। मन्त्री ने फौरन सिपाही भेज दिये। चोर पकड़े गये और बादशाह के सामने पेश किये गए। जब इन लोगों ने बादशाह को देखा तो दूसरे चोर ने कहा है कि ‘‘बड़ा गजब हो गया! रात चोरी में बादशाह हमारे साथ था

और यह वही नया चोर था, जिसने कहा था कि ‘‘मेरी दाढ़ी में वह शक्ति है कि उसके हिलते ही अपराध क्षमा हो जाते हैं।’’

सब लोग साहस करके आगे बढ़े और बादशाह का अभिवादन किया। बादशाह ने पूछा, ‘‘तुमने चोरी की है?’’ सबने एक स्वर में जवाब दिया, ‘‘हां, हूजर ! यह अपराध हमसे ही हुआ है।’’

बादशाह ने पूछा, ‘‘तुम लोग कितने थे?’’

चोरों ने कहा, ‘‘हम कुल छ: थे।’’

बादशाह ने पूछा, ‘‘छठा कहां है?’’

चोरों ने कहां, ‘‘अन्नदाता, गुस्ताखी माफ हो। छठे आप ही थे।’’

चारों की यह बात सुनकर सब दरबारी अचंभे में रह गये। इतने में बादशाह ने चोरों से फिर पूछा, ‘‘अच्छा, अब तुम क्या चाहते हो?’’

चोरों ने कहा, ‘‘अन्नदाता, हममें से हरएक ने अपना-अपना काम कर दिखाया। अब छठे की बारी है। अब आप अपना हुनर दिखायें, जिससे हम अपराधियों की जान बचे।’’

यह सुनकर बादशाह मुस्कराया और बोला, ‘‘अच्छा! तुमको माफ किया जाता है। आगे से ऐसा काम मत करना।’’

[संसार का बादशाह परमेश्वर तुम्हारे आचरणों को देखने के लिए सदैव तुम्हारे साथ रहता है। उसके साथ समझकर तुम्हें हमेशा उससे डरते रहना चाहिए और बुरे कामों की ओर कभी ध्यान नहीं देना चाहिए।      -- रूमी

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